स्वदेशी आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसमें भारतीयों ने विदेशी वस्त्रों और सामग्री के प्रति अपने अधिकार की रक्षा की। यह आंदोलन 1905 से 1908 तक चला और भारतीयों के बीच गरीबी से उत्पन्न होने वाले आक्रोश को दर्शाता है। इस आंदोलन में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अहम भूमिका थी और इससे भारतीय उद्यमिता की भी स्थापना हुई।